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    सफलता की कहानियाँ

    उत्तराखंड के गांवों से प्रेरणादायक कहानियाँ जहाँ महिला समूह, ग्रामीण समुदाय और SHG ने आजीविका, हरियाली और सांस्कृतिक धरोहर को जीवित रखते हुए आजीविका विकास की मिसाल कायम की है।

    यहाँ प्रत्येक ज़िले का संक्षिप्त परिचय भी है, जिससे आप सीधे उनके विस्तृत पृष्ठों पर जा सकें।


     जिलेवार झलक:

     अल्मोड़ा

    • ई-रिक्शा: 50+ महिलाएं, ₹30,000 मासिक आय।

    • सिलाई यूनिट: ₹8 लाख तिमाही टर्नओवर।

    • लिलियम फूल: ₹16.6 लाख वार्षिक राजस्व।

    • विशेष: जागेश्वर प्रसादम, हिमाद्रि हैंडलूम, बकरी पालन, मनरेगा कार्य।

     बागेश्वर

    • महिला उत्पाद: ₹8-10 हजार मासिक आय।

    • नर्सरी: 1.5 लाख पौधे, संविलयन से।

    • संविलयन बकरी पालन: ₹1.32 लाख प्रति लाभार्थी।

    • प्रमुख कार्य: वर्मी कम्पोस्ट, फेंसिंग, पशु चिकित्सा शिविर।

     चम्पावत

    • महिला मत्स्य पालन: ₹2.5 लाख मुनाफा।

    • आयरन ग्रोथ सेंटर: ₹80 लाख टर्नओवर।

    • होमस्टे: ₹35-40 हजार मासिक।

    • पिरुल यूनिट: ₹95 हजार, भविष्य में 1 टन प्रतिदिन।

    • विशेष: शहतूत खेती, सड़क निर्माण, हस्तशिल्प।

     देहरादून

    • बायोगैस क्लस्टर: 29 परिवार ₹2.78 लाख वार्षिक बचत।

    • नींबू-लेमनग्रास: ₹3-4 लाख प्रति हेक्टेयर।

    • पोल्ट्री फार्म: ₹20 हजार मासिक।

    • विशेष: बांस मशरूम शेड, संविलयन सड़कें।

     नैनीताल

    • डेमोक्रेसी कैफे: ₹11.20 लाख सालाना।

    • पिरुल संग्रह: 5,800 क्विंटल।

    • खेल मैदान: 16 प्रस्तावित, 10 पूर्ण।

    • होमस्टे विरासत: 60 घर चयनित।

    • विशेष: प्लास्टिक पार्क, हनी बी पार्क, चाय बागान।


     जिलेवार साझा विषय:

    • महिला नेतृत्व व हरित उद्यम

    • जैविक व पुष्प खेती, पोल्ट्री

    • वेस्ट टू वेल्थ नवाचार

    • सांस्कृतिक पर्यटन

    • मनरेगा + विभागीय संविलयन से अधोसंरचना विकास