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    मनरेगा

    मनरेगा के तहत अन्य विभागों के साथ अभिसरण में सर्वोत्तम प्रथाएं

    यह दस्तावेज़ महात्मा गांधी राष्ट्रीय ग्रामीण रोजगार गारंटी योजना (मनरेगा) के तहत विभिन्न अन्य सरकारी विभागों, जिनमें कृषि, सिंचाई, पशुपालन, मत्स्य पालन, पर्यटन और बागवानी शामिल हैं, के साथ अभिसरण में कार्यान्वित परियोजनाओं के सफल केस स्टडीज को रेखांकित करता है। ये उदाहरण दर्शाते हैं कि कैसे एकीकृत प्रयास स्थायी आजीविका वृद्धि और ग्रामीण विकास को जन्म दे सकते हैं।

    1. वाटर पार्क (अमृत सरोवर) के माध्यम से इको-टूरिज्म

    यह परियोजना एक बहुउद्देश्यीय वाटर पार्क के सफल विकास को दर्शाती है, जिससे पर्यटन, कृषि और स्थानीय आजीविका में वृद्धि हुई है।

    • स्थान: जड़धार गाँव, चंबा ब्लॉक
    • कुल परियोजना लागत: ₹30.27 लाख
      • ग्राम्य विकास (मनरेगा): ₹11.30 लाख
      • कृषि: ₹6.30 लाख
      • पंचायती राज: ₹3.50 लाख
      • पर्यटन: ₹9.00 लाख
      • युवा कल्याण: ₹0.17 लाख
    • अमृत सरोवर विवरण:
      • लागत: ₹11.30 लाख
      • कुल क्षेत्रफल: 1600 वर्ग मीटर
      • जल क्षमता: 5,00,000 लीटर
    • विशेषताएँ और गतिविधियाँ:
      • चिल्ड्रन पार्क (झूला, स्लाइड, सी-सॉ)
      • पैडल बोट (3 नाव)
      • मिनी जिम
      • कैफे / रिफ्रेशमेंट सेंटर
      • बेंच (10)
      • आर्क ब्रिज और वॉल पेंटिंग
    • प्रभाव और परिणाम:
      • वार्षिक पर्यटक आगमन: ~10,000
      • वार्षिक परिचालन व्यय: ₹0.50 लाख
      • वार्षिक आय: ₹1.00 लाख
      • मुख्य लाभ:
        • इको-टूरिज्म को बढ़ावा देकर ग्रामीण अर्थव्यवस्था को गति दी।
        • सिंचाई के लिए बेहतर जल आपूर्ति के कारण स्थानीय सब्जी की खेती में वृद्धि हुई।
        • 7 ग्राम पंचायतों और 761 परिवारों को सीधे लाभ पहुँचाया।
        • 2022 में उत्कृष्ट कार्य के लिए मुख्यमंत्री पुरस्कार प्राप्त किया।

     

    2. लेमनग्रास की खेती और प्रसंस्करण के माध्यम से आजीविका में वृद्धि

    यह पहल लेमनग्रास की खेती से लेकर उच्च मांग वाले उपभोक्ता वस्तुओं के उत्पादन तक एक मूल्य श्रृंखला बनाने पर केंद्रित है।

    • स्थान: भगवानपुर, बहादराबाद, नारसन और खानपुर ब्लॉक
    • शामिल विभाग: मनरेगा + सुगंध पौधा केंद्र (CAP)
    • पैमाना: 500 हेक्टेयर | 40 ग्राम पंचायतें | 556 किसान लाभान्वित

    चरण 1: लेमनग्रास तेल उत्पादन

    • वार्षिक वृक्षारोपण लागत (प्रति हेक्टेयर): ₹96,000
    • वार्षिक तेल उत्पादन (प्रति हेक्टेयर): 225 किग्रा
    • बाजार मूल्य: ₹1,150 प्रति किग्रा
    • कुल वार्षिक आय (प्रति हेक्टेयर): ₹2,58,750
    • वार्षिक लाभ (प्रति हेक्टेयर): ₹1,62,750
    • परिणाम: 40 ग्राम पंचायतों के किसानों की आय में उल्लेखनीय वृद्धि हुई।

    चरण 2: स्वयं सहायता समूहों (SHG) द्वारा साबुन और डिफ्यूज़र का उत्पादन

    • शामिल SHG: 17 समूह (340 सदस्य)
    • उत्पाद अर्थशास्त्र:
      • साबुन:
        • उत्पादन लागत: ₹25
        • बाजार मूल्य: ₹40
        • प्रति इकाई लाभ: ₹15
        • वार्षिक उत्पादन: 25,000 इकाइयाँ
        • कुल वार्षिक लाभ (साबुन): ₹3.75 लाख
      • डिफ्यूज़र तेल:
        • उत्पादन लागत: ₹350
        • बाजार मूल्य: ₹500
        • प्रति इकाई लाभ: ₹150
        • वार्षिक उत्पादन: 1,600 इकाइयाँ
        • कुल वार्षिक लाभ (डिफ्यूज़र): ₹2.40 लाख
    • परिणाम: 340 SHG सदस्यों की आजीविका में वृद्धि हुई, जिससे महिलाओं का आर्थिक सशक्तिकरण हुआ।

     

    3. एलईडी बल्ब निर्माण इकाई के लिए वर्क शेड

    मनरेगा के तहत निर्मित एक समर्पित कार्यक्षेत्र ने महिला स्वयं सहायता समूहों को एक लाभदायक एलईडी बल्ब निर्माण व्यवसाय स्थापित करने में सक्षम बनाया है।

    • स्थान: पंचूर, देवप्रयाग ब्लॉक, टिहरी जिला
    • शामिल विभाग: ग्राम्य विकास (मनरेगा और NRLM)
    • शामिल SHG: 8 समूह (22 सदस्य)
    • परियोजना लागत (शेड निर्माण): ₹4.89 लाख
    • व्यवसाय वित्तीय:
      • वार्षिक व्यय (कच्चा माल आदि): ₹70,000
      • वार्षिक आय: ₹2,52,500
      • वार्षिक लाभ: ₹1.83 लाख
      • कुल टर्नओवर: ₹3.08 लाख
    • परिणाम: शामिल SHG के सदस्यों ने महत्वपूर्ण वित्तीय स्वतंत्रता हासिल की है, और कई ने “लखपति दीदी” का दर्जा हासिल किया है।

     

    4. आजीविका पैकेज: एक एकीकृत आजीविका मॉडल

    यह मॉडल व्यक्तिगत परिवारों को आजीविका संपत्ति का एक व्यापक पैकेज प्रदान करता है, जिसमें भूमिहीन और SECC (सामाजिक-आर्थिक और जाति जनगणना) परिवारों को वरीयता दी जाती है।

    • लाभार्थी का उदाहरण: पुष्कर राम
    • स्थान: बजीना, बागेश्वर ब्लॉक, बागेश्वर जिला
    • शामिल विभाग: ग्राम्य विकास और पशुपालन
    • प्रदान की गई एकीकृत संपत्ति:
      • बकरी पालन इकाई: पशु शेड (लागत: ₹0.40 लाख) और 11 बकरियाँ
      • बागवानी: होम फ्रूट गार्डन (लागत: ₹0.01 लाख, नींबू वर्गीय पौधों के लिए)
      • जैविक खेती: वर्मीकम्पोस्ट इकाई (लागत: ₹0.08 लाख)
      • जल संरक्षण: जल भंडारण टैंक (लागत: ₹0.08 लाख, क्षमता: 800 लीटर)
    • वित्तीय प्रभाव:
      • कुल पैकेज लागत: ₹0.57 लाख
      • कुल वार्षिक व्यय: ₹0.41 लाख
      • कुल वार्षिक आय: ₹0.75 लाख
      • शुद्ध वार्षिक लाभ: ₹0.34 लाख
    • परिणाम: एकीकृत पैकेज ने लाभार्थी की आजीविका में वृद्धि की है और उनके जीवन स्तर में सुधार किया है।

     

    5. न्यूट्री-गार्डन (पोषण वाटिका) पोषण स्वास्थ्य के लिए

    यह पहल घरेलू बगीचों की खेती के माध्यम से पोषण सुरक्षा को बढ़ावा देती है और परिवारों के लिए आय का एक स्रोत प्रदान करती है।

    • स्थान: कोटी रोलियालू, थौलधार ब्लॉक, टिहरी जिला
    • शामिल विभाग: ग्राम्य विकास और बागवानी
    • परियोजना विवरण:
      • कुल लागत: ₹0.26 लाख
      • क्षेत्रफल: 10 x 4 मीटर
    • वित्तीय और उत्पादन:
      • उत्पाद: मौसमी सब्जियां (राई, पालक, दालें, मूली, टमाटर, आदि)
      • वार्षिक व्यय: ₹0.26 लाख
      • वार्षिक आय: ₹4.00 लाख (नोट: यह आंकड़ा अधिक प्रतीत होता है और कुल मूल्य या अन्य आय स्रोतों को शामिल कर सकता है)
    • परिणाम: लाभार्थी परिवार के पोषण स्वास्थ्य और आय में सुधार हुआ।